ग्राम सभा के महत्व को देखते हुए कुटुम्बा में लगातार ग्राम सभा का आयोजन किया जाता है। इतना ही नहीं मुखिया ऐसे भी लोगों कि समस्या को सुनने के लिए उपलब्ध रहती हैं । कुटुम्बा मे स्थायी समितियों का भी गठन हो चुका है। कर्मी कि कमी के कारण कार्य में बाधा आती है पर जहां तक संभव है ग्राम पंचायत अपने कर्तव्यों के निर्वहन में जुटी रहती है। सरकार का शौच मुक्त बिहार योजना को बल देते हुए ग्राम पंचायत कुटुम्बा के सभी वार्ड शौच मुक्त हो चुका है। शुक्रवार को औरंगाबाद डीएम अपने सहयोगियों एवं जन प्रतिनिधियों के साथ उपस्थित होकर कुटुम्बा को ओडीएफ का दर्जा प्रदान किया। |
ग्राम सभा के महत्व को देखते हुए कुटुम्बा में लगातार ग्राम सभा का आयोजन किया जाता है। इतना ही नहीं मुखिया ऐसे भी लोगों कि समस्या को सुनने के लिए उपलब्ध रहती हैं । .
सावित्री जी बच्चों के साथ मिलकर स्वास्थ्य जागरूकता रैली का आयोजन करते हुए |.
कुटुम्बा ग्राम पंचायत के सावित्री जी ने पेड़ों को राखी बांध कार राखी का पर्व मनाने का निर्णय लिया तो ग्रामीण और आस परोड़स के लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे थे।.
बिहार में जब वर्ष 2006 में पंचायत और नगर निकायों के हर श्रेणी में महिलाओं को 50 प्रतिशत के आर का प्रावधान किया, तो फिकरे कसे गए : चुनरी से कहीं पगड़ी के काम होब हई। पर आज उसी बिहार के पंचायत की महिला प्रतिनिधियों ने परिकल्पना की सार्थकता को सही साबित कर दिया। ऐसा ही एक नाम है श्री मति सावित्री सिंह। बिहार के जिले के कुटुम्बा प्रखण्ड का कुटुम्बा ग्राम पंचायत आज भारत के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज़ करा चुका है। पंचायत दिवस पर जब जबलपुर मध्यप्रदेश में माननीय प्रधानमंत्री से राष्ट्रिय गौरव पुरष्कार प्राप्त करने जब कुटुम्बा ग्राम पंचायत की मुखिया श्री मति सावित्री सिंह खरी हुई तो पूरे बिहार गौरवान्वित महसूस कार रहा था। कानपूर में पली बढी कुमारी सावित्री सिंह को कुटुम्बा को लोग एक प्राइवेट टीचर के रूप में जानते थे, जो बच्चों को ट्यूसन पढ़ती थी। वर्ष 2016 के पंचायत के आम चुनाव में कुटुम्बा के मतदाताओं को इस युवा नेत्री में भविष्य की संभावना दिखी और नतीजतन सावित्री जी कुटुम्बा ग्राम पंचायत की मुखिया चुनी गई। स्नातक तक की प्राप्त सावित्री जी चुनाव जीतने के बाद वे कुछ नया करना चाहती थीं ।
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